इस अदा से मुझे सलाम किया एक ही आन में ग़ुलाम किया ले गया नंग-ओ-नाम अब मुझ से इश्क़ ने आख़िर अपना काम किया यारो उस गुल-बदन के तईं हम ने कल सबा से यही पयाम किया हम से मिलते रहा करो प्यारे चाह में गरचे अपना नाम किया क़िस्सा-ए-जाँ-गुदाज़ ऐ 'आसिफ़' थोड़ी सी बात में तमाम किया