इस दिल को अगर तेरा सहारा नहीं मिलता क़िस्मत को कोई चाँद सितारा नहीं मिलता घेरा है किसी ख़ौफ़ ने इस तरह से दिल को मिलता है जो इक बार दोबारा नहीं मिलता कुछ तुम भी मोहब्बत में हो तक़दीर के क़ाएल कुछ मुझ को भी चलने का इशारा नहीं मिलता यूँ डूब गया हूँ तिरी आँखों के भँवर में अब मेरे सफ़ीने को किनारा नहीं मिलता किरदार हैं तब्दील कहानी तो वही है अफ़्साने में अब नाम हमारा नहीं मिलता दीपक की तरह शाम से हम जलने लगे हैं इस आग का पर कोई शरारा नहीं मिलता 'शाकिर' तिरी क़िस्मत में हैं बे-कार सदाएँ जिस शख़्स को भी तू ने पुकारा नहीं मिलता