इस क़दर सच्चाई से बेज़ार दुनिया हो गई ज़द पे गर्दन है मिरी, तलवार दुनिया हो गई उस के दिल में नीम गोली, शहद बातों में रखे पूछते क्या हो मियाँ! मक्कार दुनिया हो गई बे-हयाई बेवफ़ाई बे-यक़ीनी बे-हिसी कैसे कैसे ख़ंजरों की धार दुनिया हो गई मस्लहत ने किस क़दर तब्दील उस को कर दिया ग़ैर मैं हूँ इन दिनों ग़म-ख़्वार दुनिया हो गई क्या समझते हो यक़ीं कर लेगी तुम कुछ भी कहो सोच कर देना बयाँ होश्यार दुनिया हो गई क्या सहाफ़ी क्या मुअर्रिख़ कैसे आलिम क्या अदीब देखते ही देखते बाज़ार दुनिया हो गई हार कर जिस ने किया है उस से समझौता 'फ़राज़' हाँ उसी के वास्ते हमवार दुनिया हो गई