इस की क़ुदरत की दीद करता हूँ रोज़ नौ-रोज़ ईद करता हूँ मेरा अहवाल-ए-फ़क़्र मत पूछो ज़ोहद मिस्ल-ए-फ़रीद करता हूँ रोज़ बाज़ार-ए-मुल्क-ए-हस्ती में जिंस-ए-इस्याँ ख़रीद करता हूँ फ़त्ह करने को क़ल्ब-ए-दिल का हिसार तेग़-ए-हिम्मत कलीद करता हूँ बस-कि मैं तिश्ना-ए-शहादत हूँ दिल को हर-दम शहीद करता हूँ न मैं सुन्नी न शीआ ने काफ़िर सूफ़ी हूँ सब का वीद करता हूँ शैख़ तू गो कि पीर-ज़ादा है रह तुझे मैं मुरीद करता हूँ अपने एहसान-ए-ख़ल्क़ से 'हातिम' आदमी को अबीद करता हूँ