इस लिए भी दुख नहीं तकरार का तार उसी ने हम में जोड़ा प्यार का फूल ने ही ख़ार भेजा है मुझे ग़म का तोहफ़ा है दिया ग़म-ख़्वार का ज़हर लगते हैं तुम्हारे मीठे बोल क़त्ल कर देगा ये लहजा प्यार का सर पहुँचता है हमारा दार तक सर नहीं जाता किसी सरदार का गर्म चाय पी है तेरी याद की तिश्ना-लब हूँ शर्बत-ए-दीदार का छुट्टी ले ली है तुम्हारे वास्ते कौन देखे रास्ता इतवार का 'गौहर' उस का यौम-ए-पैदाइश है ये ये जो नंबर है हमारी कार का