इस से आगे तो बस ला-मकाँ रह गया ये सफ़र भी मिरा राएगाँ रह गया हो गए अपने जिस्मों से भी बे-नियाज़ और फिर भी कोई दरमियाँ रह गया राख पोरों से झड़ती गई उम्र की साँस की नालियों में धुआँ रह गया अब तो रस्ता बताने पे मामूर हूँ बे-हदफ़ तीर था बे-कमाँ रह गया जब पलट ही चले हो ऐ दीदा-वरो मुझ को भी देखना मैं कहाँ रह गया मिट गया हूँ किसी और की क़ब्र में मेरा कतबा कहीं बे-निशाँ रह गया