इस से पहले कि कुछ बोला जाए बात को ज़ेहन में तोला जाए राज़ फिर राज़ नहीं रहता है राज़-ए-दिल सब से न खोला जाए ऐब कितने ही दिखेंगे हम को अपने मन को जो टटोला जाए मन की परवाज़ बहुत है ऊँची दूर तक मन का हिण्डोला जाए रिश्ते बनते हैं मधुर तब 'अंबर' प्यार का रंग जो घोला जाए