इस शहर-ए-कज-कुलाह के आसार देखना और ख़ुद को बे-रिदा सर-ए-बाज़ार देखना वो मेरे बादबान का खुलना हवा के साथ और मुड़ के तेरा जानिब-ए-रहवार देखना आशोब-ए-ख़िश्त-ओ-ख़ाक से जी को अमाँ कहाँ फिर उस पे रंग-ए-शीशा-ए-पिंदार देखना अब के लगान कौन उठाने को आएगा अब के सरों की फ़स्ल है तय्यार देखना मसनद-नशीन-ए-शहर-ए-ख़राबात कौन हो किस से सँभल सकेगी ये दस्तार देखना गह इस फ़सील-ए-याद की क़िंदील पर निगाह गह अस्प-ए-हर्फ़-ओ-ख़्वाब की रफ़्तार देखना जिस में ग़रीब-ए-शहर की बेटी चुनी गई ऐ मेरे शहर-ए-यार वो दीवार देखना