इस तरह अहद-ए-तमन्ना को गुज़ारे जाइए उन को ख़ामोशी के लहजे में पुकारे जाइए इश्क़ का मंसब नहीं आवाज़ा-ए-लफ़्ज़-ओ-बयाँ आँखों ही आँखों में हर इक शिकवा गुज़ारे जाइए देखिए रुस्वा न हो जाए कहीं रस्म-ए-जुनूँ अपने दीवाने को इक पत्थर तो मारे जाइए आइने पे जो गुज़रना हो गुज़र जाए मगर आप यूँही ज़ुल्फ़-ए-बरहम को सँवारे जाइए जज़्बा-ए-दिल का तक़ाज़ा है कि बाज़ी जीत लूँ एहतियात-ए-इश्क़ कहती है कि हारे जाइए हो सके तो दिल की हालत ख़ुद ही आ कर देखिए ग़ैर की सुनिए न कहने पर हमारे जाइए कुछ तो लुत्फ़-ए-लम्स-ए-आग़ोश-ए-तलातुम चाहिए ता-कुजा 'अख़्गर' किनारे ही किनारे जाइए