इस तरह ख़ुद को ढूँढती हूँ मैं जैसे रस्ता भटक गई हूँ मैं सारी दुनिया का दुख है मेरा दुख एक तस्वीर-ए-ग़म बनी हूँ मैं एक बुझते चराग़ की मानिंद लम्हा लम्हा सुलग रही हूँ मैं देख कर मुझ को रो पड़े सब लोग ख़ुद पे कुछ इस तरह हँसी हूँ मैं अपना इम्काँ तलाश कैसे करूँ एक नदिया रुकी रुकी हूँ मैं