हँसते हँसते कह दी बात तुम ने आख़िर कड़वी बात मेरे लिए पत्थर की लकीर काँप के मुँह से निकली बात बरसों बा'द भी लगता है जैसे हो कल ही की बात पल में लहजा बदल गया देखी तुम ने उस की बात आँखों में चेहरा उन का दिल में इक इक अन्न की बात 'पैकर' ऐसा झूट न बोल लगने लगे जो सच्ची बात