इस ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं मुझे कहती हूँ सच कि झूट की आदत नहीं मुझे हूँ सोते-जागते तिरे बारे में सोचती कैसे कहूँ कि तेरी ज़रूरत नहीं मुझे दिल दे दिया था पहली मुलाक़ात में तुझे ये बात मानने में नदामत नहीं मुझे आँखें सिवाए तेरे नहीं देखती हैं कुछ इक पल तिरे ख़याल से फ़ुर्सत नहीं मुझे मैं तो वफ़ा की दुनिया में रहती हूँ ऐ 'विला' इक बेवफ़ा से कोई भी निस्बत नहीं मुझे