इसे तेरे ग़म की ख़बर न हो तो हर एक ग़म को छुपाए रख वो हरी रुतों का गुलाब है उसे धूप रुत से बचाए रख वो जो एक बार चला गया तो कभी पलट के न आएगा उसे रूठ जाने से रोक ले ये दिलों का रब्त बनाए रख यही चाहतों का उसूल है कि हथेलियों पे लहू सजा उसे याद रखने की आरज़ू है तो अपने दिल को भुलाए रख कोई शम्अ' है कि जो बुझ गई तो नए सिरे से जला लिया ये चराग़ दिल का चराग़ है उसे आँधियों से बचाए रख