इश्क़ मरहून-ए-हिकायात-ओ-गुमाँ भी होगा वाक़िआ है तो किसी तौर बयाँ भी होगा दिल अतिय्या कहीं करता तो परेशाँ होगा ख़ैर ओ ख़ूबी से ही होगा वो जहाँ भी होगा एक दिन देखना रुक जाएँगे दरिया सारे एक दिन देखना ये दश्त रवाँ भी होगा आप दुनिया को मोहब्बत की दवा बेचते हैं आप के पास इलाज-ए-ग़म-ए-जाँ भी होगा एक दिन आ ही मिलेंगे मिरे बिछड़े हुए लोग ख़त्म इक रोज़ तो ये कार-ए-जहाँ भी होगा दिल भी वैसा ही है कैफ़िय्यत-ए-जाँ है जैसी हाल बदला तो यही रक़्स-कुनाँ भी होगा शिद्दत-ए-हिज्र है महसूस तो होगी 'अरशद' बोझ सीने पे अगर है तो गिराँ भी होगा