इश्क़ की राह में मुश्किल कभी ऐसी तो न थी बे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी दास्तान-ए-दिल-ए-बिस्मिल कभी ऐसी तो न थी गुफ़्तुगू-ए-लब-ए-क़ातिल कभी ऐसी तो न थी आज शायद किसी कश्ती का यहाँ दम टूटा सोगवारी लब-ए-साहिल कभी ऐसी तो न थी शाख़-ए-गुल है न नशेमन ग़म-ए-सय्याद अलग मुज़्महिल जान-ए-अनादिल कभी ऐसी तो न थी कुछ दिखाई नहीं देता है अंधेरे के सिवा उफ़ ये गर्द-ए-रह-ए-मंज़िल कभी ऐसी तो न थी आसमाँ पर हैं निगाहें न समुंदर की तरफ़ क़ौम हालात से ग़ाफ़िल कभी ऐसी तो न थी आज हर लफ़्ज़ तिरा क्यों है रिया-कार-ए-जहाँ गुफ़्तुगू नाज़िश-ए-महफ़िल कभी ऐसी तो न थी रुख़-ए-महबूब की ज़ुल्फ़ों का घनेरा बादल ये घटा प्यार के क़ाबिल कभी ऐसी तो न थी मुश्किलें यूँ तो ऐ 'मुख़्तार' बहुत आई हैं हाँ मगर राह में मुश्किल कभी ऐसी तो न थी