इश्क़ करते हैं तो अहल-ए-इश्क़ यूँ सौदा करें होश का सरमाया नज़्र-ए-हुस्न-ए-बे-परवा करें हम न हों लेकिन ज़माने में हमारा नाम हो ऐसी हस्ती चाहिए तो मर के हम पैदा करें है ख़ुद-आराई किसी की शान-ए-ख़ुद्दारी के साथ यानी उन को हम न देखें वो हमें देखा करें दर्स-ए-इरफ़ाँ के लिए हर ज़र्रा है तूर-ए-कलीम देखने वाले मगर पहले नज़र पैदा करें शेख़ को जन्नत मुबारक हम को दोज़ख़ है क़ुबूल फ़िक्र-ए-उक़्बा वो करें हम ख़िदमत-ए-दुनिया करें एक दिल है एक हसरत एक हम हैं एक तुम इतने ग़म कम हैं जो कोई और ग़म पैदा करें 'अहसन'-ए-रंजूर को दुनिया से क्या है वास्ता आप ने बीमार डाला आप ही अच्छा करें