इश्क़ के सहराओं में ख़्वाबों का रम By Ghazal << यहाँ ज़िंदगी के सहारे बहु... हयात है मिरे दिल की किसी ... >> इश्क़ के सहराओं में ख़्वाबों का रम ख़ेमा-ए-गर्द-ए-सफ़र है और हम महमिल-ए-लैला सराब अंदर सराब बे-कराँ है ज़ात के सहरा का ग़म शहर आबादी थकन मल्बूस रूह रौशनी पैहम अंधेरा हर क़दम दश्त चाह-ए-ख़ुश्क खंडर और साँप क़ाफ़िले की मुंतज़िर है चश्म-ए-नम Share on: