इश्क़ की अल्लाह री दुश्वारियाँ इक जुनूँ और लाख ज़िम्मेदारियाँ एहतिमाम-ए-ज़िंदगी-ए-इश्क़ देख रोज़ मर जाने की हैं तय्यारियाँ इश्क़ का ग़म वो भी तेरे इश्क़ का कौन कर सकता मिरी ग़म-ख़्वारियाँ बे-खु़दी-ए-इश्क़ जैसे ग़म की नींद ग़म की नींदें रूह की बेदारियाँ इक जुनून-ए-इश्क़ पर क़ुर्बान हैं हिक्मत-ओ-इरफाँ की सौ हुश्यारियाँ इश्क़ भी है किस क़दर बर-ख़ुद ग़लत उन की बज़्म-ए-नाज़ और ख़ुद्दारियाँ छूट कर रह जाएँ नब्ज़ें इश्क़ की सहल हो जाएँ अगर दुश्वारियाँ ये नियाज़-ए-आरज़ूमंदी न देख और कुछ हैं इश्क़ की ख़ुद्दारियाँ इक निगाह बे-नियाज़-ए-इश्क़ तक हुस्न की हैं सब ग़लत-पिंदारियाँ ऐ जवानी ऐ मोहब्बत मर्हबा फिर न ये नींदें न ये बेदारियाँ इख़्तिलाज-ए-क़ल्ब के दौरे नहीं इश्क़ की 'बिस्मिल' हैं दिल-आज़ारियाँ