इश्क़ को कामयाब होना था आप को बे-नक़ाब होना था क्या शिकायत तिरे तग़ाफ़ुल की ख़त्म मेरा शबाब होना था आप ने होश खो दिए मेरे आज ही बे-नक़ाब होना था क्यूँ न दिल छीन कर वो ले जाते ज़िंदगी को ख़राब होना था उन हसीनों के ज़ुल्म सहने को मेरा ही इंतिख़ाब होना था क्यूँ ज़ुलेख़ा का ख़्वाब बन न गया गर मुझे कामयाब होना था चीर कर दिल को दिल से निकली थी आह को कामयाब होना था मिल के 'शंकर' से आज उस ने कहा तुझ को मस्त-ए-शराब होना था