इश्क़ क्या है ख़ुद-फ़रामोशी मुसलसल इज़्तिराब हुस्न क्या है जल्वा-आराई ब-अंदाज़-ए-हिजाब रूह मुज़्तर दिल परेशाँ चश्म है महरूम-ए-ख़्वाब मैं बहुत मसरूर हूँ ऐ इश्क़ तू है कामयाब जाँ निसारों पर तुम्हारे राज़ ये इफ़शा हुआ मौत लुत्फ़-ए-सरमदी है ज़ीस्त यकसर इज़्तिराब चाक-दामानी का ग़म है अब न कुछ फ़िक्र-ए-रफ़ू कर चुके दीवाने तुम से ज़िंदगी का इंतिसाब गुल फ़सुर्दा हों ख़स-ओ-ख़ाशाक में बालीदगी बाग़बाँ ऐसा तो आया था न पहले इंक़िलाब दो-जहाँ में सिर्फ़ ये है इश्क़ की दौलत 'सग़ीर' सीना-ए-पुर-दाग़ चश्म-ए-तर दिल-ए-हसरत-मआ'ब