इश्क़ में अव्वल फ़ना दरकार है दिल सीं तर्क-ए-मा-सिवा दरकार है तर्क-ए-मक़्सद ऐन मक़्सद है उसे जिस कूँ दिल का मुद्दआ दरकार है दिल ब-तंग आया है अब लाज़िम है आह ग़ुंचा-ए-गुल कूँ सबा दरकार है ज़ख़्मी-ए-ग़म क्यूँ न खींचे आह-ए-दर्द हल्क़-ए-बिस्मिल कूँ सदा दरकार है वस्फ़ ज़ुल्फ़-ए-यार का आसाँ नहीं रिश्ता-ए-फ़िक्र-ए-रसा दरकार है है लब-ए-साक़ी में चश्मा ख़िज़्र का गर तुझे आब-ए-बक़ा दरकार है रंग मेरा कान-ए-ज़र है ऐ सनम मुझ सीं आ मिल गिर तला दरकार है गोशा-ए-अबरू दिखा ऐ क़िबला-रू मुझ कूँ मेहराब-ए-दुआ दरकार है दिल रक़ीबों का जलाने ऐ 'सिराज' आतिशीं-रू दिलरुबा दरकार है