ज़ियाँ है जान का ये कारोबार मत करना सबा से साए से ख़ुश्बू से प्यार मत करना हमें वहाँ के बगूले बने जो कहते थे तवाफ़-ए-कूचा-ए-शहर-ए-निगार मत करना मैं ढलती धूप की लौ हूँ मिरा भरोसा क्या निगाह-ए-शाम मिरा इंतिज़ार मत करना न ख़ुद तुम्हीं पे कुछ इल्ज़ाम-ए-वक़्त आ जाए हमारा शिकवा-ए-सब्र-ओ-क़रार मत करना ये सच है इश्क़ ही साबित-क़दम नहीं मेरा मैं कह रहा हूँ मिरा ए'तिबार मत करना अभी है कू-ब-कू फिरना तुझे 'मुसव्विर' अभी उमीद-ए-साया-ए-दीवार-ए-यार मत करना