इश्क़ में हो के तर-ब-तर जाना दिल की ख़्वाहिश है तुझ पे मर जाना इश्क़ ये है नहीं तो फिर क्या है मेरा छूना तिरा निखर जाना तुझ को देखे तो फिर ये लाज़िम है चाँद के चेहरे का उतर जाना ये मिरा दिल है संग-ए-मरमर सा चाँदनी बन के तुम बिखर जाना तू मोहब्बत का आशियाना था छोड़ कर तुझ को ऐ 'शजर' जाना