इश्क़ रस्म-ओ-रिवाज क्या समझे दिल की बातें समाज क्या समझे जो अदा ही अदा हो सर-ता-पा वो किसी का मिज़ाज क्या समझे क्या समझता है हाल माज़ी को कल की बातों को आज क्या समझे तिश्नगी ही शराब को जाने भूक क्या है अनाज क्या समझे ज़ब्त क्या जाने मौज मस्ती को बे-ख़ुदी लोक लाज क्या समझे क्या समझते हैं अर्श को ताइर शाह भी तख़्त-ओ-ताज क्या समझे तू है 'पर्वाज़' अदना सा शाइ'र दर्द-ए-दिल का इलाज क्या समझे