इश्क़ से इज्तिनाब कर लेना अपनी मिट्टी ख़राब कर लेना हम ने दुनिया को ख़ूब झेला है हम से कुछ इकतिसाब कर लेना बेबसी से नजात मिल जाए फिर सवाल-ओ-जवाब कर लेना छोड़ इज़्ज़त-मआब लोगों को ख़ुद को आली-जनाब कर लेना कल तुझे कुछ गुनाह करने हैं आज कार-ए-सवाब कर लेना इस को भर लेना अपनी आँखों में इक हक़ीक़त को ख़्वाब कर लेना क्या कमी है हसीन चेहरों की फिर नया इंतिख़ाब कर लेना तुम सर-ए-आम एक दिन 'हामिद' रूह को बे-नक़ाब कर लेना हमा-तन-गोश है ये वीरानी यार 'हामिद' ख़िताब कर लेना