इश्क़-ए-सनम नमाज़ है है यही ज़िंदगी मिरी दिल है मिरा सनम-कदा दीन है मेरा काफ़िरी सर-ब-सुजूद हूँ सनम बुत-कदा-ए-मजाज़ में दे गई बुत-परस्तियाँ तेरी अदा-ए-दिलबरी ज़ाहिद-ए-इश्क़ से जुदा मज़हब-ए-इश्क़ है मिरा झुकना दर-ए-नक़ीब पर मेरे लिए है बेहतरी मेरे सर-ए-नियाज़ को दैर-ओ-हरम करें सलाम मुझ को तिरे ख़याल ने बख़्शी है वो क़लंदरी सदक़े करूँ मैं जान-ओ-दिल यार के पा-ए-नाज़ पर है यही अस्वद-ए-हरम है यही ताज-ए-ख़ुसरवी तेरी निगाह-ए-नाज़ है मेरी तलब की आबरू तुझ पे निसार ऐ सनम हुस्न-ए-बुतान-ए-आज़री उठ के तिरे दयार से जाए तिरा 'फ़ना' कहाँ काबा-ए-चशम-ए-इश्क़ है तेरा जमाल ऐ परी