इश्क़ का जज़्बा-ए-बेदार बड़ा काम आया बे-ख़ुदी में भी मिरे लब पे तिरा नाम आया दिल था बेचैन बहुत दर्द की पहनाई में हम को बस उन के तसव्वुर ही से आराम आया झिलमिला उट्ठे सितारे से मिरी पलकों पर जाम यादों का जो गर्दिश में सर-ए-शाम आया ज़ुल्फ़ से उट्ठी घटा चश्म से बरसी मस्ती साक़ी-ए-बज़्म नज़ाकत से लिए जाम आया जब भी साक़ी की नज़र बज़्म में उट्ठी 'शबनम' न ख़िरद आई किसी के न जुनूँ काम आया