इश्क़ में क्या क्या मेरे जुनूँ की की न बुराई लोगो ने कुछ तुम ने बदनाम किया कुछ आग लगाईं लोगो ने मेरे लहू के रंग से चमकी मेहंदी कितने हाथों पर शहर में जिस दिन क़त्ल हुआ मैं ईद मनाई लोगो ने हम ही उन को बाम पे लाए और हम ही महरूम रहे पर्दा अपने नाम से उट्ठा आँख मिलाई लोगों ने लोगों का भी एहसान है हम पर हम तेरे भी शुक्र-गुज़ार तेरी नज़र ने मारा हम को लाश उठाई लोगो ने लोगों ने अरमान निकाले हमें ही बिगड़ी रास न आई हम को 'ज़फ़र' कल शैख़ समझ कर ख़ूब पिलाई लोगों ने