इश्क़ से जिस का दिल गुदाज़ नहीं दर-ए-इरफ़ाँ भी उस पे बाज़ नहीं दर-ए-जानाँ पे है क़ियाम-ओ-क़ूऊद अपनी कोई क़ज़ा नमाज़ नहीं वस्ल उस का न क्यूँके हो दुश्वार जिस के दीदार के मजाज़ नहीं शौक़ में पूछता हूँ राह-ए-हरम गब्र-ओ-मोमिन का ए'तिबार नहीं तेरी आली जनाब में महमूद मुझे क्या रुत्बा-ए-अयाज़ नहीं नहीं होने का कामिल-उल-ईमाँ जिस को इश्क़-ए-शह-ए-हिजाज़ नहीं साथ है बाद-ए-मर्ग हसरत-ए-दीद बे-सबब चश्म अपनी बाज़ नहीं क़ल्ब उस का है मिस्ल-ए-दूद-ए-स्याह शम्अ' साँ जिस का दिल गुदाज़ नहीं क्यूँकि दिन उम्र के कटें ब-खु़शी मिज़ा-ए-दीद दिल-नवाज़ नहीं बंद है बाब-ए-मय-कदा जो 'फ़िदा' क्या दर-ए-तौबा तुझ पे बाज़ नहीं