इसी चमन में मिरा नज़्म-ए-आशियाँ बदला यही ज़मीं है जहाँ मुझ पे आसमाँ बदला निज़ाम-ए-बर्क़-ओ-नशेमन से हर समाँ बदला मगर ये देख कभी रंग-ए-बाग़बाँ बदला कहीं चमन पे न टूटे कोई बला सय्याद ये इंक़लाब मुबारक कि आशियाँ बदला ख़ुदा करे कि ख़िलाफ़-ए-वफ़ा न हो अंजाम मुझे ख़बर है जिस उम्मीद पर जहाँ बदला तिरी नज़र के इशारे ही कुछ कहें तो कहें मुझे तो होश नहीं मैं कहाँ कहाँ बदला