इतना अच्छा न अगर होता तो हम सा होता हम ने देखा ही न होता तुझे चाहा होता तू मिरे पास भी होता तो भला क्या होता मेरा हो कर भी अगर और किसी का होता अब तो कुछ कुछ ये सभी सब ही में मिल जाते हैं कोई तो होता कि मैं होता तो अच्छा होता नन्हे बच्चों की तरह सोते हैं हँसने वालो तुम ने ऐसे में अगर आप को देखा होता अब तो जो कुछ हूँ यही कुछ हूँ बुरा हूँ कि भला ऐसा क्या कहिए कि यूँ होता तो कैसा होता जब दरख़्तों में हवा लोरियाँ गाती गुज़री तुम ने ऐसे में किसी और को देखा होता ये अँधेरा कि रंगे जाता है टहनी टहनी तेरे चेहरे की झलक देख के उतरा होता एक दुनिया ने तुझे देखा है लेकिन मैं ने जैसे देखा है तुझे वैसे न देखा होता चाँद यूँ शाख़ों में उलझा ही न रहता कल रात 'अश्क' वो शख़्स अगर पास ही बैठा होता