इतना भी शोर तू न ग़म-ए-सीना चाक कर इश्क़ इक लतीफ़ शोला है इस को न ख़ाक कर ऐ दिल हुज़ूर-ए-दोस्त ब-सद एहतिराम जा दामन को चाक कर न गरेबाँ को चाक कर दौर-ए-ग़म-ए-फ़िराक़ की तारीकियों को धो जल्वों से उन के अपना जहाँ ताबनाक कर डर है कहीं मैं शौक़-ए-फ़रावाँ से मर न जाऊँ ऐ जज़्बा-ए-तरब न मुझे यूँ हलाक कर आज़ाद इस से पहले कि उन पर नज़र पड़े अश्कों से धोके अपनी निगाहों को पाक कर