इतना ग़ुस्सा क्यों करते हो हर-दम झगड़ा क्यों करते हो माना भूल गए हो मुझ को पर ये दा'वा क्यों करते हो पूरा दिन है फिर लड़ लेना खाना ठंडा क्यों करते हो कर लूँगा कुछ उल्टा-सीधा फिर क्या कहना क्यों करते हो इश्क़ अगर करते हो तो फिर इतना सोचा क्यों करते हो कल आईना पूछ रहा था ऐसे टूटा क्यों करते हो मुझ को चाहो मुझ को सोचो सब से बोला क्यों करते हो