एक सूखे शजर का साया हूँ मैं भी इस धूप की रेआया हूँ मुझ को रख ले समेट कर दिल में मैं तिरी आँख का किराया हूँ तू बदन को टटोलता क्या है मैं तिरी रूह में समाया हूँ आज से तुम नहीं रहे मेरे मैं तुम्हारे लिए पराया हूँ आज फिर उस ने पूछा कैसे हो आज फिर झूट बोल आया हूँ हिज्र अब के मज़े में गुज़रेगा उस की तस्वीर खींच लाया हूँ