इतने चुप क्यूँ हो माजरा क्या है आज 'शाइर' तुम्हें हुआ क्या है वाक़िआ' ये है थे इसी क़ाबिल हम जो रुस्वा हुए बुरा क्या है हासिल-ए-काएनात है इस में मेरे साग़र को देखता क्या है दिल की बातें सुनो निगाहों से ये न पूछो कि मुद्दआ' क्या है तेरी इक इक अदा ने लूट लिया है-वफ़ाई है क्या वफ़ा क्या है सामने अपने आइना रख लो ये न देखो मुझे हुआ क्या है ज़र्रा ज़र्रा जवाब दे देगा पूछिए तो ज़रा ख़ुदा क्या है अब तो 'शाइर' ज़माना है दुश्मन राहज़न क्या है रहनुमा क्या है