जो कैफ़-ए-इश्क़ से ख़ाली हो ज़िंदगी किया है शगुफ़्तगी न मिले जिस में वो कली क्या है मिरी निगाह में है उन का आरिज़-ए-रौशन ये कहकशाँ ये सितारे ये चाँदनी क्या है जमाल-ए-यार की रानाइयों में गुम है नज़र मुझे ये होश कहाँ है कि ज़िंदगी क्या है उठा भी जाम कि दुनिया तिरे क़दम चूमे ये मय-कदा है यहाँ ऐश की कमी क्या है तुम्हारी याद में बैठे हैं दिल को बहलाने सनम-तराशी-ओ-ज़ौक़-ए-मुसव्विरी क्या है नफ़स नफ़स पे ये एहसास-ए-ग़म ये मजबूरी ख़ुदा-गवाह क़यामत है ज़िंदगी क्या है निगाह-ए-शौक़ के उठने की देर है 'शाइर' वो बे-क़रार न आए तो बात ही क्या है