इज़्तिराब-ए-शौक़ में इल्हाम का धोका हुआ दिल जो धड़का आप के पैग़ाम का धोका हुआ बात इतनी थी कि उस ने इक ज़रा फेरी थी आँख और मुझ को गर्दिश-ए-अय्याम का धोका हुआ मर्हबा हुस्न-ए-तसव्वुर गेसुओं की छाँव का ग़म की तपती धूप थी और शाम का धोका हुआ जज़्ब हैं नज़रों में यूँ उस हुस्न की रंगीनियाँ आँख उठी जिस पर उसी गुलफ़ाम का धोका हुआ दे रहे थे हदिया-ए-तबरीक वो अग़्यार को और 'मुबारक' मुझ को अपने नाम का धोका हुआ