जाने कैसा सोग मनाया जाता है कुछ क़ब्रों पर दिया जलाया जाता है कुछ जिस्मों की लज़्ज़त पूरी करने को कुछ जिस्मों को खींच के लाया जाता है वो आँखें पिंजरे में होती हैं जिन को आज़ादी का ख़्वाब दिखाया जाता है वस्ल तो पहला राग है सब गा लेते हैं हिज्र कहाँ हर एक से गाया जाता है कुछ नुक़्ते अल्फ़ाज़ की ज़ीनत होते हैं कुछ नुक़्तों से काम चलाया जाता है मुमकिन है कि रोने का कुछ वक़्त मिले बारिश का इम्कान बताया जाता है