जाने किधर के लोग थे जाने किधर गए वा'दे किए थे जितने सभी से मुकर गए मंज़िल हमारे प्यार की कुछ दूर तो न थी ख़ातिर उसी की इश्क़ में उस के नगर गए आसाँ नहीं है इश्क़ का रस्ता ये जान लो मुश्किल मिलेगी राह में जो तुम उधर गए चाहत की आग दिल में थी जलती रही बहुत चारों तरफ़ ही आग के जानम शरर गए मुद्दत लिखी थी जीने की अल्लह ने इस जहाँ दूजे जहाँ के रास्ते आख़िर बशर गए दुनिया पड़ी है पैसे के पीछे बहुत ही यार देखा जो लोगों ने ये तो सारे उधर गए