जाने किस लिए रूठी ऐसे ज़िंदगी हम से नाम तक नहीं पूछा बात भी न की हम से देखो वक़्त की आहट तेज़ होती जाती है जो सवाल बाक़ी हैं पूछ लो अभी हम से कोई ग़म इधर आए उस को घूरती क्यूँ है और चाहती क्या है अब तिरी ख़ुशी हम से एक भूली-बिसरी याद आज याद क्यूँ आई क्यूँ किसी के मिलने की आरज़ू मिली हम से उस की एक उँगली पर घूमती रही दुनिया चाँद की तरह हर शय दूर हो गई हम से