जाने क्या कुछ सुन कर लौटा By Ghazal << आब की तासीर में हूँ प्यास... आज मक़्तल में ख़बर है कि ... >> जाने क्या कुछ सुन कर लौटा चुप है वो जब से घर लौटा बचपन का हर नन्हा सपना थक कर बूढ़ा हो कर लौटा वो भी आग बुझाने निकला वो भी हाथ जला कर लौटा जाने क्या साहिल से कह कर उल्टे पाँव समुंदर लौटा Share on: