जाने क्या क्या सोचता रहता है ये पागल मन साजन ख़ुद को अक्सर तुझ में देखे तू मिरा दर्पन साजन तेरे मेरे जैसा होना सब के बस की बात नहीं सच कहते हैं जो कहते हैं प्रेम है पागलपन साजन तुझ को शहरों में खोया था लेकिन अब उम्मीद नहीं तेरी तमन्ना दिल में ले कर फिरता हूँ बन बन साजन दुनिया भर की पीड़ा ले कर दूर कहीं हम चल देते काश के तेरे जैसा होता अपना भी दामन साजन इतनी ममता इतनी करुणा इतनी क्षमा और इतना प्रेम तुम कितने धनवान हो देखो हम कितने निर्धन साजन लाख दुखों के पर्बत टूटे फिर भी कितना शीतल है काश के तेरे मन सा निर्मल होता मेरा मन साजन दौलत शोहरत तुम को मुबारक मुझ को मेरा हरजाई बाग़ बग़ीचे सारे तुम्हारे मेरा बृंदावन साजन उन को भला हम क्या सिखलाएँ दुख और सुख की परिभाषा जिन नैनों में आ जाता है बे-मौसम सावन साजन तू मेरे दीपक की बाती तू मेरा जीवन साथी तू ही बुढ़ापा तू ही जवानी तू मेरा बचपन साजन कल तक दिल में थी ये तमन्ना लोग कहें 'वासिफ़' 'वासिफ़' लेकिन अब तो मन करता है कहते रहें साजन साजन