क्या सुनाऊँ मैं तुझे अपनी कहानी जानी दोनों हाथों से लुटाई है जवानी जानी एक तो तेरी मोहब्बत में तड़पता हुआ दिल और फिर उस पे मिरी शोख़-बयानी जानी डाल कर प्यालों में शो'लों को गटक जाते थे हम जवानी में कहाँ पीते थे पानी जानी एक तू एक मोहब्बत मिरी ला-फ़ानी है बाक़ी हर चीज़ है इस दुनिया में आनी जानी आज बादल भी हैं कुछ और ही नीले नीले तेरी चुनरी भी है हद से सिवा धानी जानी इन से उन से मिरे अहवाल तलब करता है सुन कभी हाल मिरा मेरी ज़बानी जानी वो नहीं सुनता है मेरी तिरी शायद सुन ले इस लिए तुझ को सुनाता हूँ कहानी जानी रफ़्ता रफ़्ता मिरी नज़रों से हुआ वो ओझल और मैं आवाज़ लगाता रहा जानी जानी