जाने क्यों ऐसा लगता है दिल डूबा डूबा लगता है सड़कों सड़कों भीड़ है लेकिन हर कोई तन्हा लगता है पहला सफ़र याद आ जाता है जब भी कोई काँटा लगता है अपनी बीती उम्र का हिस्सा नींद का इक झोंका लगता है जीवन का सम्मान नहीं है क़ब्रों पर मेला लगता है ऐसा दौर है 'ताबाँ' जिस में सूरज भी काला लगता है