जान-लेवा है प्यार का साया आप के इंतिज़ार का साया और देता है मेरे ग़म को हवा हम-नशीं ग़म-गुसार का साया हो रही है जो आज दिल में चुभन पड़ गया होगा ख़ार का साया जन्म देता है नूर वालों को तीरगी के हिसार का साया दर्द भर दे दिलों में लोगों के है सितमगर कहार का साया दूर कर दे क़रीब वालों को बरतरी के ख़ुमार का साया रुख़ बदल दे ख़िज़ाँ के मौसम का छाए जब भी बहार का साया नाम रौशन करे ज़माने में इल्म-ओ-फ़न के निखार का साया शख़्सियत को ज़लील करता है झूटे फ़न के ग़ुबार का साया नूर लाए अदब की दुनिया में बन के सूरज 'वक़ार' का साया