जाँ-फ़िशानी का वाँ हिसाब अबस जो कहो उस का है जवाब अबस माहताब और कताँ का आलम है आरिज़-ए-दोस्त पर नक़ाब अबस क़ुफ़्ल-ए-दर की कलीद ना-पैदा अब तमन्ना-ए-फत्ह-ए-बाब अबस ज़ुल्फ़-ए-पुर-ख़म हवा से क्यूँ न हिले आप खाते हैं पेच-ओ-ताब अबस ख़त उसे भेजना ज़रूर मगर दोस्त से ख़्वाहिश-ए-जवाब अबस मेरे अशआ'र सब बयाज़ी हैं हम-नशीं फ़िक्र-ए-इंतिख़ाब अबस है हमारी नज़र में हुरमत-ए-मय पेचिश-ए-अहल-ए-एहतिसाब अबस याँ नहीं कुफ्र-ओ-दीन ख़ौफ़-ओ-रजा लुत्फ़ बे-फ़ाएदा इताब अबस न सवाब उस में है न इस में असर सब्र बे-हूदा इज़्तिराब अबस वा'दा उस ने किया तो क्या 'नाज़िम' अबस ऐ ख़ानुमाँ-ख़राब अबस