जब अच्छे थे दिन रात कम याद आए बुरा वक़्त आया तो हम याद आए जो समझो मोहब्बत की तौहीन है ये सितम-गर से पहले सितम याद आए ज़माने से जब पड़ गया वास्ता तो तिरी ज़ुल्फ़ के पेच-ओ-ख़म याद आए मिली जो मोहब्बत के बदले में नफ़रत हमें अहल-ए-दुनिया के ग़म याद आए हँसी आ गई उन की बातों पे यूँही वो समझे कि उन के करम याद आए जो हँस कर किसी ने किसी से कहा कुछ हमें भी किसी के सितम याद आए कभी दिल को दिल से जो देखा बिछड़ते 'सदफ़' को तुम्हारे करम याद आए