जब अम्न के आसार देखते हैं माहौल शरर-बार देखते हैं है फ़र्ज़ यहाँ किस पे शहरयारी सब अपनी ही दस्तार देखते हैं आइना तो सब देखते हैं लेकिन हम आइना-बरदार देखते हैं मैं मील का पत्थर हूँ मुझ को रहरव मुड़ मुड़ के कई बार देखते हैं जो लोग थे बदनाम शहर भर में वो लोग भी किरदार देखते हैं वो हार में भी शर्मसार है कब हम जीत में भी हार देखते हैं है ख़ूब 'सुख़न' इश्क़-ए-नेक-तीनत हम रूह को सरशार देखते हैं