जब दिल में तिरे ग़म ने हसरत की बिना डाली दुनिया मिरी राहत की क़िस्मत ने मिटा डाली अब बर्क़-ए-नशेमन को हर शाख़ से क्या मतलब जिस शाख़ को ताका था वो शाख़ जला डाली इज़हार-ए-मोहब्बत की हसरत को ख़ुदा समझे हम ने ये कहानी भी सौ बार सुना डाली जीने भी नहीं देते मरने भी नहीं देते क्या तुम ने मोहब्बत की हर रस्म उठा डाली जीने में न अब 'फ़ानी' मरने में शुमार अपना मातम की बिसात उस ने क्या कह के उठा डाली