जब घर ही जुदा जुदा रहेगा फिर हाथ में हाथ क्या रहेगा वो मेरे ख़याल का शजर है आँखों में हरा-भरा रहेगा मेहमान वो ख़ाल-ओ-ख़द रहेंगे जब तक मरा शब-कदा रहेगा रिश्ता मिरे साहिल-ए-नफ़स से इस मौज-ए-सराब का रहेगा वो हर्फ़ जो उस ने लिख दिया है ता-उम्र यूँही लिखा रहेगा ऐ मोजज़ा-ए-हवा सुना दे वो मुझ में सदा खिला रहेगा